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Dec 30, 2024
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भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं छोटे फूड बिज़नेस। इन्हें बढ़ावा देने के लिए सरकार लाई है PMFME योजना, जो आर्थिक सहायता, स्किल डेवलपमेंट और बिज़नेस ग्रोथ का मौका देती है। हमारे ब्लॉग में PMFME की सभी जानकारी आसान भाषा में समझाई गई है। StartupHyper उद्यमियों को इन योजनाओं का लाभ उठाने और बिज़नेस बढ़ाने में मदद करता है।
भारत जैसे बड़े और विविधता से भरे देश में लाखों छोटे-छोटे फूड बिज़नेस हैं। इनमें से कई छोटे उद्यम घरों या छोटे वर्कशॉप से चलाए जाते हैं। चाहे वह अचार बनाने वाले हों, मसाले पीसने वाले हों, या पारंपरिक मिठाइयां बनाने वाले - इन सभी के पास हुनर और मेहनत तो है, लेकिन संसाधनों और औपचारिकता की कमी के कारण ये अपने बिज़नेस को बड़े पैमाने पर नहीं बढ़ा पाते।
इन्हीं उद्यमियों को सशक्त बनाने और उनके बिज़नेस को औपचारिक रूप देने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिककरण योजना (PMFME) की शुरुआत की। यह योजना छोटे फूड बिज़नेस को न केवल आर्थिक सहायता देती है, बल्कि उनकी क्षमता बढ़ाने में भी मदद करती है।
भारत में लगभग 25 लाख छोटे फूड प्रोसेसिंग बिज़नेस अनौपचारिक रूप से काम कर रहे हैं। इनका फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में बड़ा योगदान है, क्योंकि:
यह आंकड़े दिखाते हैं कि ये छोटे बिज़नेस न केवल ग्रामीण इलाकों के लोगों को रोजगार देते हैं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस योजना का उद्देश्य न केवल छोटे उद्यमियों को औपचारिकता की ओर ले जाना है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना भी है।
सरकार ने इस योजना के लिए 5 साल (2020-2025) के दौरान 10,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है। इस फंडिंग का वितरण केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इस तरह से होता है:
इस योजना का एक अनूठा पहलू है वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP)। इसका मतलब है कि हर जिला एक ऐसे विशेष प्रोडक्ट पर फोकस करेगा, जिसमें उस जिले की खास पहचान हो। जैसे:
इससे उस क्षेत्र के छोटे उद्यमियों को उनके प्रोडक्ट्स को बेहतर बनाने और ज्यादा बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में मदद मिलेगी। साथ ही, हर जिले को एक फूड प्रोसेसिंग हब के रूप में विकसित करने का अवसर मिलेगा।
PMFME योजना का लाभ छोटे और सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के लिए है। व्यक्तिगत रूप से इस योजना का लाभ उठाने के लिए, ये शर्तें पूरी करनी होंगी:
व्यक्तिगत उद्यमियों के अलावा, इस योजना का लाभ समूह आधारित संगठनों को भी दिया जाता है। ये संगठन इस प्रकार हैं:
PMFME योजना स्थानीय खाद्य व्यवसायों को एक नई दिशा और ताकत देने की पहल है। यह योजना छोटे उद्यमियों को न केवल अपने व्यवसाय को बेहतर बनाने बल्कि बड़े सपने देखने का भी अवसर देती है।
सोचिए, एक स्थानीय अचार बनाने वाली महिला जो अपनी दादी के पुराने नुस्खे का उपयोग कर रही है, अब:
इस योजना का मकसद इन छोटे खाद्य व्यवसायों को मजबूत करना और उनका विस्तार करना है, साथ ही हमारे पारंपरिक स्थानीय खाद्य उत्पादों को संरक्षित करना भी। इससे ग्रामीण इलाकों में न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि भारत की अनूठी खाद्य संस्कृति भी बरकरार रहेगी।
इस तरह, PMFME योजना न केवल छोटे व्यवसायों को आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर को भी बेहतर कर रही है। यह योजना एक बदलाव का माध्यम है, जहां हर छोटे उद्यमी को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का मौका मिल रहा है।
PMFME योजना के तहत सरकार छोटे खाद्य व्यवसायों को सामूहिक संरचना यानी साझा सुविधाओं के निर्माण में मदद करती है। ये सुविधाएं कई व्यवसायों द्वारा साझा रूप से उपयोग की जा सकती हैं, जिससे उनकी लागत कम होती है और कार्यक्षमता बढ़ती है।
इस योजना के तहत सामूहिक संरचना के लिए सहायता इन संगठनों को दी जाती है:
सरकार स्थानीय खाद्य व्यवसायों को बेहतर बनाने के लिए निम्नलिखित साझा सुविधाएं प्रदान करती है:
सरकार सामूहिक संरचना के निर्माण के लिए परियोजना लागत का 35% तक अनुदान प्रदान करती है। यह सहायता बैंक क्रेडिट से जुड़ी होती है, जिससे व्यवसायों को बड़ी परियोजनाओं के लिए वित्तीय मदद मिलती है।
PMFME योजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू छोटे खाद्य व्यवसायों को उनके उत्पादों को बेहतर तरीके से मार्केट करने और ब्रांडिंग में मदद करना है। इसका उद्देश्य इन व्यवसायों को बड़े बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने और अपने उत्पादों की पहचान बनाने में सक्षम बनाना है।
सरकार छोटे व्यवसायों को मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए निम्नलिखित प्रकार की सहायता प्रदान करती है:
PMFME योजना न केवल छोटे खाद्य व्यवसायों को वित्तीय मदद देती है, बल्कि उन्हें तकनीकी और शैक्षणिक सहयोग भी प्रदान करती है। यह सहायता केंद्र और राज्य स्तर पर दी जाती है, ताकि हर स्तर पर सही मार्गदर्शन मिल सके।
राष्ट्रीय स्तर पर दो प्रमुख संस्थान इस योजना को लागू करने में मदद करते हैं:
ये संस्थान निम्नलिखित कार्य करते हैं:
राज्य स्तर पर, हर राज्य में एक तकनीकी संस्थान होता है, जो:
राज्य के ये संस्थान राष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर काम करते हैं, ताकि व्यवसायों को सही और समय पर सहायता मिले।
अगर आप इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, तो आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:
एक विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें।
इसे अपने राज्य की नोडल एजेंसी को सबमिट करें।
सभी आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त करें।
जहां जरूरत हो, बैंक से क्रेडिट लिंकिंग की प्रक्रिया पूरी करें।
यह योजना छोटे खाद्य व्यवसायों को न केवल आर्थिक सहायता देती है, बल्कि उन्हें नई तकनीक, इनोवेशन और स्किल्स के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है।
राष्ट्रीय स्तर पर यह योजना के संचालन का केंद्र है। योजना से जुड़े बड़े निर्णय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री की अध्यक्षता वाली उच्च-स्तरीय समिति द्वारा लिए जाते हैं। विशेषज्ञ समितियां रोज़मर्रा के काम, प्रशिक्षण कार्यक्रम और निगरानी का काम संभालती हैं। साथ ही, एक विशेष टीम योजना की प्रगति पर नज़र रखती है और समस्याओं को हल करने में मदद करती है। योजना के तहत धनराशि वितरण की प्रक्रिया को आसान और प्रभावी बनाने में बैंक अहम भूमिका निभाते हैं।
मुख्य विशेषताएं:
राज्य स्तर पर, योजना के क्रियान्वयन और प्रबंधन की जिम्मेदारी विशेष राज्य टीमों को सौंपी गई है। राज्य की गतिविधियों की निगरानी मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति करती है। योजना को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए एक समर्पित एजेंसी और अनुभवी टीमों की मदद ली जाती है।
मुख्य विशेषताएं:
योजना के संचालन में कई विशेषताएं इसे बेहतर बनाती हैं:
योजना का यह मजबूत ढांचा यह सुनिश्चित करता है कि हर स्तर पर छोटे व्यवसायों को सही समय पर और प्रभावी मदद मिल सके।
इस सुव्यवस्थित ढांचे का उद्देश्य छोटे खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों को हर स्तर पर सहायता प्रदान करना है। यह सुनिश्चित करता है कि उद्यमियों को उनके व्यवसाय की शुरुआत से लेकर उसे सफल बनाने तक सही मार्गदर्शन और सुविधाएं मिलें। चाहे वह आवेदन प्रक्रिया हो, प्रशिक्षण हो, या किसी समस्या का समाधान – यह व्यवस्था हर पहलू पर ध्यान देती है।
इस संरचना के माध्यम से उद्यमियों को न केवल अपने व्यवसाय को स्थापित करने में मदद मिलती है, बल्कि इसे बढ़ाने के लिए आवश्यक संसाधन और जानकारी भी प्रदान की जाती है। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि हर छोटे उद्यमी को उनके व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए सही दिशा और समर्थन मिले।
PMFME योजना का ढांचा यह दिखाता है कि सरकार छोटे खाद्य प्रसंस्करण व्यवसायों के विकास को कितनी गंभीरता से ले रही है। चाहे आप अचार बना रहे हों, मसाले तैयार कर रहे हों, या किसी और खाद्य उत्पाद का निर्माण कर रहे हों, इस योजना के तहत आपको पैसे और सही जानकारी दोनों का समर्थन मिल रहा है।
यह योजना न केवल आपके व्यवसाय को मजबूत बनाने में मदद करती है, बल्कि आपके सपनों को एक नई दिशा देने का काम भी करती है। सही प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाज़ार तक पहुँच के जरिए यह योजना यह सुनिश्चित करती है कि छोटे उद्यमी भी बड़ी सफलता हासिल कर सकें।
इस पहल का उद्देश्य सिर्फ छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि देश के ग्रामीण इलाकों और पारंपरिक खाद्य संस्कृतियों को भी बचाए रखना है। PMFME के साथ, छोटे व्यवसायों का भविष्य उज्जवल और टिकाऊ बन सकता है।
PMFME योजना के लिए जिला स्तर समिति (DLC) को समझिए जैसे स्थानीय कमांड सेंटर। यह समिति स्थानीय स्तर पर योजना को सही तरीके से लागू करने के लिए जिम्मेदार है। इसे जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में चलाया जाता है और इसमें विभिन्न विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों की टीम होती है:
इस समिति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि PMFME योजना को सही तरीके से लागू किया जाए और उद्यमियों को हर संभव सहायता मिले। ये सभी लोग मिलकर योजना को लागू करने में मदद करते हैं, उद्यमियों की जरूरतों को समझते हैं और स्थानीय स्तर पर उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
यह टीम स्थानीय स्तर पर उद्यमियों के लिए एक मजबूत समर्थन प्रणाली के रूप में काम करती है, ताकि वे अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक शुरू कर सकें और बढ़ा सकें।
जिला स्तर समिति (DLC) का मुख्य काम है PMFME योजना को स्थानीय स्तर पर सही तरीके से लागू करना और सुनिश्चित करना कि छोटे खाद्य प्रसंस्करण व्यवसायों को हर तरह की मदद मिले। यहाँ DLC द्वारा किए जाने वाले कुछ मुख्य कामों की चर्चा करते हैं:
इस तरह से, जिला स्तर समिति (DLC) छोटे व्यवसायों के लिए एक मजबूत समर्थन प्रणाली बनाती है, जो उनके विकास को सुनिश्चित करती है।
ये वो तकनीकी विशेषज्ञ होते हैं जो छोटे खाद्य व्यवसायों को सफलता पाने में मदद करते हैं। इन सलाहकारों के पास कुछ महत्वपूर्ण योग्यताएँ होनी चाहिए ताकि वे सही मार्गदर्शन दे सकें:
खाद्य प्रौद्योगिकी या इंजीनियरिंग में डिग्री
3 से 5 साल का अनुभव खाद्य व्यवसायों में सहायता देने का
खाद्य सुरक्षा और तकनीकी सुधार के बारे में गहरी जानकारी
अगर इन्हें खाद्य प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ नहीं मिलते, तो वे ऐसे लोगों को भी नियुक्त कर सकते हैं जिनके पास अनुभव हो:
ये सलाहकार छोटे खाद्य व्यवसायों को तकनीकी सहायता देने के अलावा, उनके व्यापार को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों और नए तरीके भी सुझाते हैं। वे बाजार के रुझानों, खाद्य सुरक्षा और मशीनरी के उपयोग के बारे में व्यवसायों को पूरी जानकारी देते हैं, जिससे व्यवसायों का विकास सुनिश्चित होता है।
सलाहकारों को हर सफल लोन केस के लिए ₹20,000 मिलते हैं। यह भुगतान दो हिस्सों में होता है:
सरकार इस योजना के खर्च को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बांटती है:
पहले साल में केंद्रीय सरकार पूरी राशि को उठा रही है! यह इसलिए किया जा रहा है क्योंकि योजना उन राज्यों में शुरू हुई थी जहां बजट पहले ही तय हो चुके थे।
इस तरह से, योजना में मिलने वाली सहायता छोटे व्यवसायों को बेहतर बनाने में मदद करती है और सरकार द्वारा खर्च का सही तरीके से वितरण किया जाता है।
अब बात आती है सबसे मजेदार हिस्से की! इस योजना में छोटे खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए बैंक से जुड़ी कई सुविधाएं दी जाती हैं:
यह बैंक कनेक्शन छोटे व्यवसायों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा। ये बैंक सुविधाएं उन्हें आर्थिक मदद और वित्तीय सहायता आसानी से प्राप्त करने में मदद करती हैं। साथ ही, क्रेडिट गारंटी और ब्याज दर में छूट से व्यवसायों को अपने काम को बढ़ाने और विस्तार करने में और भी मदद मिलती है।
सरकार द्वारा इस तरह की सुविधाओं के साथ, छोटे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को एक बड़ा अवसर मिलता है, जिससे वे अपने व्यवसाय को नए स्तर पर ले जा सकते हैं।
MIS सिस्टम को समझिए जैसे इस योजना का डिजिटल दिमाग। यह ऑनलाइन सिस्टम हर एक काम को ट्रैक करता है और सबको सही दिशा में काम करने में मदद करता है।
MIS सिस्टम से सब कुछ व्यवस्थित और पारदर्शी होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि सभी गतिविधियां और फंड का सही तरीके से उपयोग हो रहा है, जिससे योजना का सही तरीके से पालन हो सके और छोटे व्यवसायों को पूरी सहायता मिल सके। इस सिस्टम की मदद से सरकारी अधिकारियों के लिए भी काम करना आसान हो जाता है, और एंटरप्रेन्योर के लिए अपनी मदद प्राप्त करना सरल होता है।
StartupHyper आपको PMFME योजना में आवेदन करने के हर कदम पर सहायता प्रदान करेगा। हम आपको सही दस्तावेज़ तैयार करने में मदद करेंगे, और आपकी योजना को प्रभावी तरीके से पेश करने के लिए मार्गदर्शन करेंगे। हमारा उद्देश्य यह है कि आपका आवेदन बिना किसी परेशानी के स्वीकृत हो सके।
हमारी कंपनी आपको खाद्य प्रसंस्करण व्यवसाय के लिए उच्च गुणवत्ता की मशीनरी प्रदान करेगी। चाहे आपको छोटे पैमाने पर खाद्य उत्पाद बनाने के लिए आवश्यक मशीनें चाहिए हों या बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए, हम आपके लिए सबसे उपयुक्त और किफायती समाधान देंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि मशीनरी आपके व्यवसाय के लिए पूरी तरह से उपयुक्त हो, ताकि आपके उत्पादन की क्षमता बढ़ सके।
StartupHyper सिर्फ मशीनरी की आपूर्ति तक सीमित नहीं है। हम आपको पूरे व्यवसाय में समर्थन देंगे। इससे आपको व्यवसाय सेटअप, संचालन, और विस्तार के लिए जरूरी सलाह मिलेगी। हम आपको प्रशिक्षण, मार्केटिंग रणनीतियाँ, और बिक्री में सुधार के लिए मदद करेंगे।
हमारा उद्देश्य है कि आप अपनी खाद्य प्रसंस्करण कंपनी को बढ़ाने के लिए पूरी मदद प्राप्त करें। हम आपके आवेदन से लेकर मशीनरी इंस्टॉलेशन, तकनीकी सहायता, और बाद में व्यवसाय विस्तार तक हर कदम पर आपके साथ हैं।
StartupHyper आपके व्यवसाय की सफलता के लिए एक मजबूत साथी है, और हम आपको हर मोर्चे पर पूरी मदद देने के लिए तैयार हैं।
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